डॉ. ए पीजे. अब्दुल कलाम के 11 सिद्धान्त, जिससे सीखा पूरे देश ने
एक महान विचारक, विद्वान, विज्ञानविद और उच्च कोटी के मनुष्य, भारत के 11वें राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, एक ख्याती प्राप्त वैज्ञानिक इंजीनियर जिन्होने भारत को उन्नत देशों के समूह में सबसे आगे लाने के लिये प्रक्षेपण यानो तथा मिसाइल प्रऔद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। अब हमारे बीच नहीं रहे।
Shillong: Former President APJ Abdul Kalam, a popular President between 2002 and 2007, passed away on Monday after he collapsed during a lecture in Shillong.
तमिलनाडु के रामेश्वरम् में 15 अक्टूबर को जन्में डॉ. अब्दुल कलाम अपनी सफलता का श्रेय सर्वप्रथम अपनी माँ को देते हैं, उनके अनुसार—“मैं अपने बचपन के दिन नही भूल सकता, मेरे बचपन को निखारने में मेरी माँ का विषेश योगदान है। उन्होने मुझे अच्छे-बुरे को समझने की शिक्षा दी। छात्र जीवन के दौरान जब मैं घर-घर अखबार बाँट कर वापस आता था तो माँ के हाँथ का नाश्ता तैयार मिलता। पढाई के प्रति मेरे रुझान को देखते हुए मेरी माँ ने मेरे लिये छोटा सा लैम्प खरीदा था, जिससे मैं रात को 11 बजे तक पढ सकता था। माँ ने अगर साथ न दिया होता तो मैं यहां तक न पहुचता।“
अब्दुल कलाम एक तपस्वी होने के साथ-साथ एक कर्मयोगी भी हैं। अपनी लगन, कङी मेहनत और कार्यप्रणाली के बल पर असफलताओं को झेलते हुए आगे बढते गये। अपनी उपलब्धियों के दम पर आज उनका स्थान अर्न्तराष्ट्रीय वैज्ञानिकों में से एक है।
प्रारम्भिक जीवन में अभाव के बावजूद वे किस तरह राष्ट्रपति के पद तक पहुँचे ये बात हम सभी के लिये प्रेरणास्पद है। उनकी शालीनता, सादगी और सौम्यता किसी महापुरुष से कम नही है। उनसे मिलने की इच्छा स्वाभाविक है जो हममें से कई लोगों की होगी।। उनके जीवन से हम बहुत प्रभावित हैं। हम उनको अपना आर्दश मानते हैं।
डॉ. कलाम बच्चों तथा युवाओं में बहुत लोकप्रिय हैं। हम सब आदरवश उन्हे मिसाइल मैन कह कर बुलाते हैं। अपने सहयोगियों के प्रति घनिष्ठता एवं प्रेमभाव के लिये कुछ लोग उन्हे ‘वेल्डर ऑफ पिपुल’ भी कहते हैं। परिवारजन तथा बचपन के मित्रजन ‘आजाद’ कह कर पुकारते थे।
डॉ. कलाम के दर्शन सिद्धान्त बेहद प्रभावशाली हैं।
1- जो लोग जिम्मेदार, सरल, ईमानदार एवं मेहनती होते हैं, उन्हे ईश्वर द्वारा विशेष सम्मान मिलता है। क्योंकि वे इस धरती पर उसकी श्रेष्ठ रचना हैं।
2- किसी के जीवन में उजाला लाओ।
3- दूसरों का आर्शिवाद प्राप्त करो, माता-पिता की सेवा करो, बङों तथा शिक्षकों का आदर करो, और अपने देश से प्रेम करो इनके बिना जीवन अर्थहीन है।
4- देना सबसे उच्च एवं श्रेष्ठ गुणं है, परन्तु उसे पूर्णता देने के लिये उसके साथ क्षमा भी होनी चाहिये।
5- कम से कम दो गरीब बच्चों को आत्मर्निभर बनाने के लिये उनकी शिक्षा में मदद करो।
6- सरलता और परिश्रम का मार्ग अपनाओ, जो सफलता का एक मात्र रास्ता है।
7- प्रकृति से सिखो जहाँ सब कुछ छिपा है।
8- हमें मुस्कराहट का परिधान जरूर पहनना चाहिये तथा उसे सुरक्षित रखने के लिये हमारी आत्मा को गुणों का परिधान पहनाना चाहिये।
9- समय, धैर्य तथा प्रकृति, सभी प्रकार की पिङाओं को दूर करने और सभी प्रकार के जख्मो को भरने वाले बेहतर चिकित्सक हैं।
10- अपने जीवन में उच्चतम एवं श्रेष्ठ लक्ष्य रखो और उसे प्राप्त करो।
11- प्रत्येक क्षण रचनात्मकता का क्षण है, उसे व्यर्थ मत करो।
अब्दुल कलाम, सादा जीवन, उच्च विचार तथा कङी मेहनत के उद्देश्य को मानने वाले वो महापुरूष हैं जिन्होने सभी उद्देशों को अपने जीवन में निरंतर जीया भी है। उनका कहना है कि—-
“सपने देखना बेहद जरूरी है, लेकिन सपने देखकर ही उसे हासिल नही किया जा सकता। सबसे ज्यादा जरूरी है जिन्दगी में खुद के लिये कोई लक्ष्य तय करना”
मित्रों, हम सब अगर उपरोक्त बात को समझें और जीवन में उतारें तो अपने अपने लक्ष्य में सफल हो सकते हैं। इसी विश्वास के साथ कलम को विराम देते हैं।
Source:- दैनिक भास्कर
एक महान विचारक, विद्वान, विज्ञानविद और उच्च कोटी के मनुष्य, भारत के 11वें राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, एक ख्याती प्राप्त वैज्ञानिक इंजीनियर जिन्होने भारत को उन्नत देशों के समूह में सबसे आगे लाने के लिये प्रक्षेपण यानो तथा मिसाइल प्रऔद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। अब हमारे बीच नहीं रहे।
Shillong: Former President APJ Abdul Kalam, a popular President between 2002 and 2007, passed away on Monday after he collapsed during a lecture in Shillong.
तमिलनाडु के रामेश्वरम् में 15 अक्टूबर को जन्में डॉ. अब्दुल कलाम अपनी सफलता का श्रेय सर्वप्रथम अपनी माँ को देते हैं, उनके अनुसार—“मैं अपने बचपन के दिन नही भूल सकता, मेरे बचपन को निखारने में मेरी माँ का विषेश योगदान है। उन्होने मुझे अच्छे-बुरे को समझने की शिक्षा दी। छात्र जीवन के दौरान जब मैं घर-घर अखबार बाँट कर वापस आता था तो माँ के हाँथ का नाश्ता तैयार मिलता। पढाई के प्रति मेरे रुझान को देखते हुए मेरी माँ ने मेरे लिये छोटा सा लैम्प खरीदा था, जिससे मैं रात को 11 बजे तक पढ सकता था। माँ ने अगर साथ न दिया होता तो मैं यहां तक न पहुचता।“
अब्दुल कलाम एक तपस्वी होने के साथ-साथ एक कर्मयोगी भी हैं। अपनी लगन, कङी मेहनत और कार्यप्रणाली के बल पर असफलताओं को झेलते हुए आगे बढते गये। अपनी उपलब्धियों के दम पर आज उनका स्थान अर्न्तराष्ट्रीय वैज्ञानिकों में से एक है।
प्रारम्भिक जीवन में अभाव के बावजूद वे किस तरह राष्ट्रपति के पद तक पहुँचे ये बात हम सभी के लिये प्रेरणास्पद है। उनकी शालीनता, सादगी और सौम्यता किसी महापुरुष से कम नही है। उनसे मिलने की इच्छा स्वाभाविक है जो हममें से कई लोगों की होगी।। उनके जीवन से हम बहुत प्रभावित हैं। हम उनको अपना आर्दश मानते हैं।
डॉ. कलाम बच्चों तथा युवाओं में बहुत लोकप्रिय हैं। हम सब आदरवश उन्हे मिसाइल मैन कह कर बुलाते हैं। अपने सहयोगियों के प्रति घनिष्ठता एवं प्रेमभाव के लिये कुछ लोग उन्हे ‘वेल्डर ऑफ पिपुल’ भी कहते हैं। परिवारजन तथा बचपन के मित्रजन ‘आजाद’ कह कर पुकारते थे।
डॉ. कलाम के दर्शन सिद्धान्त बेहद प्रभावशाली हैं।
1- जो लोग जिम्मेदार, सरल, ईमानदार एवं मेहनती होते हैं, उन्हे ईश्वर द्वारा विशेष सम्मान मिलता है। क्योंकि वे इस धरती पर उसकी श्रेष्ठ रचना हैं।
2- किसी के जीवन में उजाला लाओ।
3- दूसरों का आर्शिवाद प्राप्त करो, माता-पिता की सेवा करो, बङों तथा शिक्षकों का आदर करो, और अपने देश से प्रेम करो इनके बिना जीवन अर्थहीन है।
4- देना सबसे उच्च एवं श्रेष्ठ गुणं है, परन्तु उसे पूर्णता देने के लिये उसके साथ क्षमा भी होनी चाहिये।
5- कम से कम दो गरीब बच्चों को आत्मर्निभर बनाने के लिये उनकी शिक्षा में मदद करो।
6- सरलता और परिश्रम का मार्ग अपनाओ, जो सफलता का एक मात्र रास्ता है।
7- प्रकृति से सिखो जहाँ सब कुछ छिपा है।
8- हमें मुस्कराहट का परिधान जरूर पहनना चाहिये तथा उसे सुरक्षित रखने के लिये हमारी आत्मा को गुणों का परिधान पहनाना चाहिये।
9- समय, धैर्य तथा प्रकृति, सभी प्रकार की पिङाओं को दूर करने और सभी प्रकार के जख्मो को भरने वाले बेहतर चिकित्सक हैं।
10- अपने जीवन में उच्चतम एवं श्रेष्ठ लक्ष्य रखो और उसे प्राप्त करो।
11- प्रत्येक क्षण रचनात्मकता का क्षण है, उसे व्यर्थ मत करो।
अब्दुल कलाम, सादा जीवन, उच्च विचार तथा कङी मेहनत के उद्देश्य को मानने वाले वो महापुरूष हैं जिन्होने सभी उद्देशों को अपने जीवन में निरंतर जीया भी है। उनका कहना है कि—-
“सपने देखना बेहद जरूरी है, लेकिन सपने देखकर ही उसे हासिल नही किया जा सकता। सबसे ज्यादा जरूरी है जिन्दगी में खुद के लिये कोई लक्ष्य तय करना”
मित्रों, हम सब अगर उपरोक्त बात को समझें और जीवन में उतारें तो अपने अपने लक्ष्य में सफल हो सकते हैं। इसी विश्वास के साथ कलम को विराम देते हैं।
Source:- दैनिक भास्कर
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