प्रकृति में बहुत से जीव और वनस्पतियां स्व प्रकाश उत्पन्न करते है जीव जो प्रकाश (पीला, हरा, लाल) उत्पन्न करते है उसको जीवदीप्ति (Bio-luminescence) कहते है जीवदीप्ति बिना गर्मी का प्रकाश होता है ये प्रकाश शीतल होता है
जीवों में मुख्यतः कुछ मोल्स्कन,स्पंज,जेली फिश,केकड़े व कुछ जाति की मछलियाँ, lightning bugs प्रकाश उत्पन्न करते है|
पहले तक यह माना जाता रहा कि जीव फास्फोरस के कारण चमकते है लेकिन बाद में पता चल गया कि फास्फोरस के कारण ऐसा नहीं होता है|
सन् 1794 में इटैलियन वैज्ञानिक स्पेलेंज़ानी ने सिद्ध किया कि जीवों में प्रकाश उनके शरीर में होने वाली रासायनिक क्रियाओं के कारण होता है ये रासायनिक क्रियाएँ मुख्यत पाचन से सम्बन्धित होती है|
यह फोटोजेन या ल्युसिफेरिन रसायन होता है|
इन रासायनिक क्रियाओं के कारण मुख्यत दो पदार्थ बनते है|
ल्यूसिफेरिन और ल्युसिफेरेस
आक्सीकरण क्रिया के फलस्वरूप ल्यूसिफेरिन नामक प्रोटीन आक्सीकृत हो कर चमक उत्पन्न करती है |
जुगनू दो प्रकार के होते है,
1. लैपरिड
2. क्लिक बीटल
ऐसी क्या जरूरत पडी कि जुगनू या अन्य जीवों के अंदर चमकने जैसी क्रिया विकसित हुई?
यह चमक जुगनूओं को अपना आहार बनाने और आहार बनने से बचने दोनों काम आता है नर मादा जोड़ा बनाने यानी मेंटीग के लिए आकर्षण उत्पन्न करते है या दूसरे जानवरों का शिकार करने के लिये इसका उपयोग करते हैं बार बार एक निश्चित अंतराल के बाद उत्पन्न लाईट फ्लश परभक्षियों को भ्रमित करती है ये ही सब चमकने के उपयोग है|
वैज्ञानिक जुगनुओं की इस विशेष प्रोटीन से काफी नए शोध की उम्मीदे लगाएं बैठे है वैज्ञानिकों ने fireflies की चमकने वाली प्रोटीन का इस्तेमाल कैंसर, autoimmune रोग और कई अन्य बीमारियों का इलाज की दवाओं के लिए किया है|
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